सांस्कृतिक धरोहरों से सम्पन्न छत्तीसगढ़ कृषिभूमि है। यह ऋषिभूमि भी कहलाता है। राज्य की सांस्कृतिक सम्पन्नता नगरों, ग्रामों एवं सुदूर वनांचलों में परिलक्षित होती है। छत्तीसगढ़ के लोगों के आचार-विचार एवं लोकाचार में संस्कृत भाषा से प्राप्त ज्ञान का प्रभाव एवं विस्तार दिखार्इ पड़ता है। छत्तीसगढ़ी भाषा में संस्कृत के तत्सम एवं तदभव षब्दों की बहुलता है। इसका कारण छत्तीसगढ़ में संस्कृत का अतीत वैभव से परिपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ आदिकवि महर्षि वाल्मीकि (तुरतुरिया), श्रृष्यश्रृंग (सिहावा), लोमष ऋषि (राजिम), जमदगिन ऋषि (जामड़ीपाट) आदि महान आध्यातिमक विभूतियों की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली है। युगों-युगों से इस प्रदेष ने अपनी सार्थक भूमिका का परिचय दिया है। न केवल संस्कृत बलिक विष्व के महाकवि कालिदास की रचनाधर्मिता को षीर्ष स्थान पर प्रतिषिठत करने वाला छत्तीसगढ़ सिथत रामगिरि पर्वत की चोटी अपनी विरही पत्नी को संदेष देने वाले यक्ष की भावनाओं को प्रतिबिमिबत करती है। आषाढ़ के प्रथम दिवस पर इस स्थान को देखने वाला इस यथार्थ को स्वयमेव समझ सकता है। उल्लेखनीय है कि संस्कृत भाषा के प्रभाव से ही हमारा छत्तीसगढ़ प्रदेष आज संयत है, मनस्वी है और समस्त संसाधनो से परिपूर्ण है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के साथ ही संस्कृत भाषा के विकास की यात्रा 25 मार्च 2003 से प्रारंभ हो चुकी है। राज्य सरकार ने संस्कृत षिक्षा और भाषा की प्रतिष्ठा के लिए छत्तीसगढ़ संस्कृत बोर्ड, सम्प्रति छत्तीसगढ़ संस्कृत विधामण्डलम का गठन कर संस्कृत भाषा को इतना प्रोत्साहित किया है कि इसके कारण देषभर में छत्तीसगढ़ की पृथक गौरवपूर्ण पहचान बनी है। प्रदेष के यषस्वी मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह एवं रचनात्मक प्रतिभा के धनी षिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के सफल मार्गदर्षन में संस्कृत को प्रदेष की षिक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त हो चुका है। प्रदेष की समृद्ध विरासत को सहेजने एवं मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए संस्कृत भाषा के अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए षासन ने नि:षुल्क पुस्तकें, नि:षुल्क गणवेष वितरण सहित छात्राओं को नि:षुल्क सायकलें एवं संस्कृत अध्ययन प्रोत्साहन राषि देकर विधार्थियों में संस्कृत षिक्षा की ओर रुझान पैदा किया है। श्री अग्रवाल जी ने संस्कृत विधामण्डलम को विषेष मार्गदर्षन प्रदान किया है। उन्होंने संस्कृत विदयालय प्रारंभ करने के लिए प्रतिभूति राषि को कम कर दिया है। प्रथमा, पूर्वमध्यमा एवं उत्तरमध्यमा स्तर पर अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं को संस्कृत अध्ययन प्रोत्साहन राषि दी जा रही है। छात्र-छात्राओं के बहुमुखी विकास को दृषिटगत रखते हुए संस्कृत विधालयों के लिए नवीन पाठयक्रम, तीसरी से पाँचवी कक्षाओं तक संस्कृत के परिचयात्मक पाठों का समावेष, संस्कृत विधालयों के लिए प्राथमिक स्तर का पाठयक्रम निर्धारण सहित कक्षा 11 और 12 में संस्कृत को प्रथम भाषा में स्थान दिया गया है। संस्कृत विधामण्डलम की बजट राषि में भी उत्तरोत्तर वृद्धि की जा रही है। छत्तीसगढ़ में संस्कृत भाषा का विस्तार एवं विकास हो रहा है। लगातार संस्कृत पढ़ने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। निजी षिक्षण संस्थाएँ संस्कृत विधालय प्रारंभ करने के लिए अग्रसर हैं। संस्कृत षिक्षा के महत्व को समझते हुए केन्द्रीय जेल रायपुर में संस्कृत विधालय संचालित है.....