संस्कृत गीत

'' यो न हृष्‍यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्षति। शुभाशुभपरित्‍यागी भक्तिमान्‍य: स मे प्रिय:।।'' भावार्थ: जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ संपूर्ण कर्मों का त्‍यागी है- वह भक्तियुक्‍त पुरूष मुझको प्रिय है।

सांस्कृतिक धरोहरों से सम्पन्न छत्तीसगढ़ कृषिभूमि है। यह ऋषिभूमि भी कहलाता है। राज्य की सांस्कृतिक सम्पन्नता नगरों, ग्रामों एवं सुदूर वनांचलों में परिलक्षित होती है। छत्तीसगढ़ के लोगों के आचार-विचार एवं लोकाचार में संस्कृत भाषा से प्राप्त ज्ञान का प्रभाव एवं विस्तार दिखाई पड़ता है

मा कश्चिद् दुख भागभवेत। अर्थ– कोई दु:खी न हो अर्थात सभी सुखी रहे।

"वदतु संस्कृतं पठतु संस्कृतम्"

परिचय

सांस्कृतिक धरोहरों से सम्पन्न छत्तीसगढ़ कृषिभूमि है। यह ऋषिभूमि भी कहलाता है। राज्य की सांस्कृतिक सम्पन्नता नगरों, ग्रामों एवं सुदूर वनांचलों में परिलक्षित होती है। छत्तीसगढ़ के लोगों के आचार-विचार एवं लोकाचार में संस्कृत भाषा से प्राप्त ज्ञान का प्रभाव एवं विस्तार दिखाई पड़ता है। छत्तीसगढ़ी भाषा में संस्कृत के तत्सम एवं तद्भव शब्दों की बहुलता है। इसका कारण छत्तीसगढ़ में संस्कृत का अतीत वैभव से परिपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ आदिकवि महर्षि वाल्मीकि (तुरतुरिया), ऋष्‍यश्रृंग (सिहावा), लोमष ऋषि (राजिम), जमदग्नि ऋषि (जामड़ीपाट) आदि महान आध्‍यात्मिक विभूतियों की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली है। युगों-युगों से इस प्रदेश ने अपनी सार्थक भूमिका का ... पूरा पढ़ें

गतिविधियां

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कक्षा १२ वी में कु. अन्नपूर्ण और कक्षा १० वी में कृष्णकान्त राठौर प्रथम मंत्री डॉ. टेकाम ने सभी सफल विद्यार्थी को दी बधाई

अपलोडेड - ( आदेश / विडियो / लिंक ):

आदेश / निर्देश
# Date Notice Action
1 20-03-2023 संस्‍कृत विद्यालयों में सेटअप के अनुसार शिक्षक रखने विषयक।
2 16-03-2023 बोर्ड परीक्षा 10वीं एवं 12वीं के पूर्णांक 700 किए जाने हेतु आदेश
3 30-01-2023 नवीन संस्‍कृत विद्यालय प्रारंभ करने हेतु दिशा निर्देश
संस्कृत ऑडियो एवं विडियो
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